चचाई जलप्रपात की ऊंचाई कितनी है
भारत का मध्य प्रदेश राज्य अनेक प्राकृतिक संपदाओं और सौंदर्य से आच्छादित है। मध्य प्रदेश के रिवा जिले में ऐसी प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित चचाई जलप्रपात है, चचाई वाटर फॉल्स भारत के सबसे ऊंचे वाटर फॉल्स की पंक्ति में 23वां स्थान रखता है तथा मध्य प्रदेश में दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात की श्रेणी में आता है। चचाई जलप्रपात की ऊंचाई 375 फुट है। तमसा नदी की एक उप नदी है बीहड़ नदी, यही बीहड़ नदी चचाई नामक ग्राम में 375 फूट की उंचाई से नीचे गिरती है। जिससे चचाई झरने का आविर्भाव होता है। बीहड़ नदी का यह नया रूप चचाई वाटरफॉल के रूप में सुंदर और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। जो बड़ी संख्या में प्राकृतिक प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जिससे यहां साल भर पर्यटन सा माहौल बना रहता है।
चचाई जलप्रपात की जानकारी हिंदी में

चचाई जलप्रपात प्रकृृति-प्रेमियों के लिए एक अनन्य आकर्षण का केन्द्र है, जहाँ बीहड़ नदी लगभग 375 फूट का बीहड़ वाटरफॉल बनाती हुई एक मनोरम घाटी में प्रवेश करती है। रीवां से 30-35 मील की दूरी पर चचाई वाटरफॉल है। पास ही इसी नाम का ग्राम भी है। भूरी-भूरी चट्टानें जो कि पानी के निरंतर आधघातों से घिसकर समतल सी बन गई है-इनपर बैठकर चचाई जलप्रपात का सौंदर्य निहारिये। जल के द्रुतगति से गिरने के कारण उत्पन्न हुआ तुमुल शब्द जहाँ कानों को आनन्द प्रदान करता है वहीं जल के गिरने से उठे हुए और चाँदी से चमकते जलकण कोहरे से दृष्टिगत होते हैं और ऐसा ज्ञात होता है कि मानों चाँदी का कोहरा-सा छा गया हो।
इरपु जलप्रपात – इरपु वाटर फॉल – ब्रह्मागिरी अभारण्य – लक्ष्मण तीर्थ
पहाड़ियों से गिरते हुए वाटरफॉल का निरंतर शब्दनाद ऐसा मालूम होता है मानों बोहर की जल-राशि विंध्या के गुणगीत के राग अलापती हुई उसके गौरव का उद्घाटन कर रही हो। पथरीली घाटियों की चट्टानों पर बैठकर इस आर्द्रता का लाभ उठाया जा सकता है। ये जल- परमाणु शरीर पर गिरकर शरीर को जैसे तृप्ति का आनंद देते है एवं सारी थकान और श्रम का परिहार कर देते हैं। निस्संदेह चचाई वाटरफॉल प्राणों को सुखानुभव से तृप्त कर देता है।
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