शाहपुर कंडी किला का इतिहास - shapurkandi fort history in hindi
शाहपुर कंडी किला शानदार ढंग से पठानकोट की परंपरा, विरासत और इतिहास को प्रदर्शित करता है। विशाल किले को बेहतरीन कारीगरी के साथ बनाया गया था। यह किला अपनी नक्काशी और सुंदर निर्माण के लिए जाना जाता है, किले से हिमालय की तलहटी और रावी नदी का एक मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। आंशिक रूप से संरक्षित खंडहर, जो ब्रिटिश शासन के दौरान नष्ट हो गए थे, पठानिया राजवंश के अतीत के बारे में बताते हैं। वर्तमान में शाहपुर कंडी किला राजपूत सरदार की वीरता और साहस का प्रतीक है, जिसने वीरतापूर्वक मौत को गले लगा लिया था। गुरदासपुर के पास कई मस्जिदों, मकबरों और मंदिरों के बाद भी शाहपुरकंडी फोर्ट पठानकोट का प्रमुख पर्यटक आकर्षण बना हुआ है।
शाहपुर कंडी फोर्ट का इतिहास
शाहपुर कंडी किले का निर्माण1505 में शाहजहाँ के प्रमुख जागीरदार जसपाल सिंह पठानी द्वारा कराया गया था। शाहपुर कंडी का किला नूरपुर और कांगड़ा क्षेत्रों की रक्षा के लिए बनाया गया था। किला पठानकोट से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह खूबसूरत हिमालय की तलहटी में 16वीं सदी का स्मारक है। बुनियादी ढांचा 1505 ईस्वी पूर्व का है। और शाहपुर कंडी किले का नाम महान मुगल सम्राट शाहजहां के नाम पर रखा गया था। पठानकोट में शाहपुर कंडी फोर्ट 1848 ईस्वी में स्वत्रंत्रता सैनानी राम सिंह पठानिया की अंतिम शरणस्थली के रूप में समर्पित किया गया था। जब उन्होंने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन किया गया था।

रोचक तथ्य
1- पठानकोट का शाहपुरकंडी किला हिंदू और इस्लामी शैली की वास्तुकला का शानदार मिश्रण है।
2- शाहपुरकंडी किला पठानकोट के पास 16वीं सदी का एक स्मारक है।
3- सिख शासकों की भूमि में मुगलों के काल में निर्मित ऐतिहासिक किला होने के कारण यह पर्यटकों और इतिहासकारों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
4- शाहपुरकंडी किले ने राम सिंह पठानिया को शरण दी। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो ब्रिटिश शासन के अत्याचारों के खिलाफ थे।
5- किले के अंदर खुबसूरत मस्जिद और मंदिर है।
शाहपुरकंडी किले तक कैसे पहुंचे?
शाहपुरकंडी किला सभी प्रमुख सड़कों और एक राजमार्ग से जुड़ा हुआ है जो इसे पठानकोट के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। स्थानीय स्तर पर बसों और कैब को किले से आने-जाने में आसानी के लिए सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। निकटतम रेलवे स्टेशन: पठानकोट रेलवे स्टेशन है।
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