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टिहरी झील प्राकृतिक सौंदर्य और एक्टिविटी का संगम

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 ये_मालदीव_के_नजारे_नहीं_हैं यहाँ आप ऋषिकेश से सिर्फ 1.30 घंटे में पहुंच सकते हैं,ये टिहरी झील के नजारे हैं जो कि इस समय बहुत फेमस टूरिस्ट प्लेस बन गया है ,इन तस्वीरों में फ्लोटिंग हट भी दिख रही हैं जो की झील में तैरते हुए घर हैं,यहां भी लोग नाइट स्टे कर सकते हैं,और यहां बहुत सारी वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी कर सकते हैं, ये जगह ऋषिकेश से सिर्फ 77 km दूर है शानदार रोड बना हुआ है सिर्फ 1.30 घंटे लगते हैं,टिहरी झील में विभिन्न प्रकार की वाटर स्पोर्ट्स और एक्टिविटीज़ का आनंद लिया जा सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: 1. स्कीइंग और वॉटर स्कीइंग टिहरी झील में स्कीइंग और वॉटर स्कीइंग की सुविधा उपलब्ध है। 2. पैराग्लाइडिंगझील के ऊपर पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया जा सकता है। 3. बोटिंग और टिहरी झील में बोटिंग और याटिंग की सुविधा उपलब्ध है। 4. *फिशिंग झील में मछली पकड़ने का आनंद लिया जा सकता है। 5. कयाकिंग और कैनोइंग टिहरी झील में कयाकिंग और कैनोइंग की सुविधा उपलब्ध है। 6. विंड सर्फिंग झील में विंड सर्फिंग का आनंद लिया जा सकता है। 7. जेट स्कीइंग टिहरी झील में जेट स्कीइंग की सुविधा उपलब्ध है। 8. ...

भारत में सबसे पहले सूरज यहां उगता है

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 अरुणाचल प्रदेश के डोंग गांव में सूरज सबसे पहले निकलता है. यहां सूरज सुबह 3 से 4 बजे के बीच निकलता है. डोंग गांव को भारत का पहला सूर्योदय स्थल कहा जाता है. यहां सूरज निकलने के कारण इसे 'उगते सूरज की भूमि' भी कहा जाता है.  डोंग गांव अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में स्थित है। जहां भारत का पहला सूर्योदय होता है.  इस गांव को “भारत का पहला सूर्योदय स्थल” भी कहा जाता है.  सूर्योदय देखने के शौकिन दूर-दूर से इस गांव को देखने आते हैं। डोंग गांव के बारे में कुछ और खास बातेंः- डोंग गांव, चीन और म्यांमार के बीच समुद्र तल से करीब 1,240 मीटर की ऊंचाई पर है.  डोंग गांव में दिन-रात का चक्र बाकी देशों के मुकाबले अलग है. यहां शाम 4 बजे ही अंधेरा हो जाता है.  डोंग गांव में सूर्योदय देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.  नए साल पर देशभर के लोग यहां सूरज की पहली किरण देखने आते हैं.  डोंग गांव में घूमने लायक जगहें: नेचुरल हॉट स्प्रिंग्‍स और किबिथु विलेज.  डोंग गांव में स्वदेशी जनजातियों के लोग रहते हैं.  डोंग वैली को भारत की 'उगते सूरज की भूमि' के नाम से भी जा...

गोवा( बीच पर मस्ती) goa tourist place information in hindi

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भारत का गोवा राज्य अपने खुबसुरत समुद्र के किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिए जाना जाता है ।गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा राज्य है ।यहाँ लगभग 450 सालों तक पुर्तगालियों का शासन था 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौपा गया । उसके बाद इसे राज्य घोषित किया गया यहाँ की राजधानी पणजी है। गोवा का समुद्री तट लगभग 101 किलोमीटर लम्बा है । यहाँ ज्यादातर युवा सैलानियों का तांता लगा रहता है यह कहना गलत नहीं होगा कि यहाँ की बीच मस्ती , नाइट बीच पार्टी ,एडवेंचर स्पोर्ट्स, बार कैफे सनबाथ आदि का रंगीन माहौल युवाओं को खुब पसंद आता है। यह हनीमून का प्रसिद्ध स्पाट भी है । नव विवाहित जोड़े अधितकतर यहाँ आते है । गोवा में लगभग छोटे बड़े 40 बीच है गोवा बीच पर मस्ती   अगोंडा बीच:- यह बीच साउथ गोवा में स्थित है । यह बहुत लम्बा एंव चौड़ा बीच है । शहर के शोरगुल से दूर यहाँ आने से मन शांत हो जाता है । यहाँ अधिक भीड़भाड़ नहीं होती रिलैक्स करने का यह उत्तम स्थान है । यहाँ बीच के किनारे हटस है ।  जहाँ आप अपने साथी के साथ रूक सकते है तथा प्राकृतिक सौंदर्य का आनन्द ले सकते है।   गोवा के सुंदर बीच ...

नेपाल के पर्यटन स्थल - nepal tourist place information in hindi

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हिमालय के नजदीक बसा छोटा सा देश नेंपाल। पूरी दुनिया में प्राकति के रूप में अग्रणी स्थान रखता है । सैर सपाटे के लिए दुनियाभर के सैलानियों की यह प्रमुख पसंद है । खुबसूरत फिजाएँ अनगिनत चमकती पर्वत श्रृंखलाएं हरे भरे जंगल झीलें नदियाँ झरनों से सजीधजी हरियाली बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है । ऐसा लगता है कि कुदरत यहाँ हर शय पर महरबान है । जिससे यहाँ के मनमोहक नजारे हर किसी का मन मौह लेते है नेपाल का प्राकृतिक सौंदर्य यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य की बात करें तो कुदरती खुबसूरती का ऐसा नजारा यहाँ देखने को मिलता है कि निहारते ही दिल तरोताजा महसूस  करने लगता है । प्राकति के सौंदर्य से भरे नेपाल में मंदिरों, स्तूपों पैगोडा ओर आस्था के कई अन्य स्थानों के अलावा ऐतिहासिक इमारतें भी है नेपाल में ही दुनिया की सबसे उंची चोटी ( माउंट एवरेस्ट) हिमालय पर्वत की चोटी जिसकी उंचाई 8848 मीटर यही पर है । जिसके साथ अद्भुत ओर रोमांचकारी बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं है । दुनियां के दस सबसे उंचे पर्वतों में से आठ नेपाल में ही है । एवरेस्ट के अलावा कंचनजंघा, लोहोल्स, नकालू ,चून्ओपू, धौलागिरी , मान्सलू , और ...

गणतंत्र दिवस परेड

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गणतंत्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है । अगर पर्यटन की नज़र से देखें तो यह भी एक बहतरीन व्यू प्वाइंट हैं । इस दिन देश विदेश के कोने कोने से हजारों पर्यटक इस भव्य समारोह की परेड़ देखने भारत की राजधानी दिल्ली पहुँचते है । यू तो यह समारोह हर राज्य की राजधानी में मनाया जाता है  तथा छोटे- छोटे स्तर पर प्रत्येक स्कूल व सरकारी दफ्तरों में भी मनाया जाता है । किन्तु देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित इस समारोह की बात ही कुछ अलग है । गणतंत्र दिवस इतिहास एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इस संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था । 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ( आई ० एन० सी) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था । यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाश में से एक है । अन्य दो स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती है । सन् 1929 के दिसम्बर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पं...

जोधपुर ( ब्लू नगरी) jodhpur blue city - जोधपुर का इतिहास

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जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन मंदिरों का ख्याल मन में आता है ।जोधपुर के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है । वर्ष भर चमकते सूर्य के कारण इसे सूर्य नगरी भी कहा जाता है ।यहाँ स्थित मेहरानगढ़ किले को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे ब्लू नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है । वर्ष भर देश विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक यहाँ आते है जोधपुर का इतिहास मेहरानगढ़ का किला:- विश्व भर में प्रसिद्ध यह किला 150 मीटर ऊची पहाड़ी पर स्थित है । यह भव्य इमारत लगभग 5  किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई है ।किले के अन्दर भी कई भव्य महल है जैसे:- मोती महल , सुख महल, फूल महल, शीश महल, , सिलेह खाना, दौलत खाना आदि आदि । यहाँ की अद्भुत नक्काशीदार किवाड़ जालीदार खिड़कियाँ और प्रेरित करने वाले नाम पर्यटकों को खुब पसंद आते है इन महलों में भारतीय राजवंशों के साजो समान का विम्स्यकारी संग्रह भी है । इसके अतिरिक्त पालकियां हाथियों के हौदे विभिन्न  शैलियों के लघु चित्र संगीत वाघा राजशाही पोशाकें व फर्नीचर का आश्चर्य जनक संग्...

लाल किला किसने बनवाया - लाल किले का इतिहास और तथ्य

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यमुना नदी के तट पर भारत की प्राचीन वैभवशाली नगरी दिल्ली में मुगल बादशाद शाहजहां ने अपने राजमहल के रूप में दिल्ली के लाल किले का निर्माण कराया था। इससे पूर्व आगरे का प्रसिद्ध किला मुगल वंशीय बादशाहों द्वारा निर्मित हो चुका था परन्तु शाहजहां ने दिल्‍ली नगरी में मुख्य रूप से निवास करने की दृष्टि से सन 1638 में लाल किले के निर्माण का कार्य प्रारम्भ कराया। लाल किले के निर्माण का कार्य लगभग 10 वर्षों तक चलता रहा। राज्य भवनों के वैभव और सौंदर्य की दृष्टि से यह किला भारत में विशेष ख्याति पाता है। जिस समय मुगल साम्राज्य अपने यौवन के उभार में था उस समय शहंशाह जैसे भव्य भवनों के निर्माता ने इस दुर्ग में सुन्दर से सुन्दर भवन बनवाने में अपने शक्ति लगाई। लाल किले के सुंदर दृश्य   कहा जाता है कि जब मुगल सम्राट शाहजहां का मन  आगरा में न लगा उस समय उसने यमुना तट दिल्ली में शाहजहांनाबाद नाम से एक नगरी बसाई ओर वहीं पर लाल किला नाम से एक विशाल राजमहल का निर्माण कराया। उस राज महल को सुरक्षित करने के लिये उसके चारों ओर लाल पत्थर की सुदृढ़ प्राचीर बनवाई गई और इस प्रकार इस राज महल ने भारत की राजधानी...

पतंजलि योग पीठ - patanjali yog peeth - योग जनक

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हरिद्वार जिले के बहादराबाद में स्थित भारत का सबसे बड़ा योग शिक्षा संस्थान है । इसकी स्थापना स्वामी रामदेव द्वारा योग का अधिकाधिक प्रचार करने एंव इसे सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से किया है । आज पतंजलि योग पीठ विश्व भर में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। तथा बाबा स्वामी रामदेव जी महाराज आज विश्व भर में योग गुरू के रूप प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके है । पतंजलि योग पीठ पतंजलि योग पीठ में योग शिक्षा व आयुर्वैदिक  स्वास्थ्य लाभ के साथ साथ भ्रमण का भी लुफ्त उठाया जा सकता है । हरिद्वार तीर्थ यात्रा पर आने वाले अधिकतर पर्यटक यहाँ योग प्रशिक्षण  भ्रमण तथा स्वास्थ्य लाभ के उद्देश्य से जरूर आते है। यहाँ की भव्य इमारत खुबसूरत बगीचे योग प्रशिक्षण केंद्र तथा अनुसंधान केन्द्र देखने योग्य है। पतंजलि योग पीठ दो भागों में स्थित है । फैस वन और फैस टू। रामानंदी संप्रदाय के संस्थापक, पीठ, नियम व इतिहास पतंजलि योग पीठ पतंजलि योग पीठ फेस 1 योग पीठ फेस 1 के मुख्य द्वार में प्रवेश  करते ही खुबसुरत गार्डन में योग सूत्र के रचनाकार महर्षि पतज्जली शल्य चिकित्सा के जनक महर्षि सुश्रुत तथा चरक संहिता के रचनाकार ...

हुमायूं का मकबरा मुगलों का कब्रिस्तान humanyu tomb history in hindi

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भारत की राजधानी दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन तथा  हजरत निजामुद्दीन दरगाह  के करीब मथुरा रोड़ के निकट  हुमायूं का मकबरा  स्थित है। यह मुग़ल कालीन इमारत दिल्ली पर्यटन के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है। तथा यहाँ के पर्यटन स्थलों में अपना अलग ही मुकाम रखती है। इस खुबसूरत इमारत को देखने के लिए दुनिया भर के इतिहास प्रेमी, वास्तुकला प्रेमी तथा पर्यटक आते है। इसकी प्रसिद्धि और महत्वता का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति  बराक ओबामा  भी इस भव्य इमारत के दर्शन के लिए यहाँ आ चुके है। तथा 1993 में यूनेस्को  द्वारा इस इमारत को  विश्व धरोहर  घोषित किया गया है। हुमायूं का मकबरा हुमायूं की मृत्यु सन् 1556  में हुई थी। और  हाजी बेगम के नाम से जानी जाने वाली उनकी विधवा पत्नी  हमीदा बानू बेगम  ने 9 वर्ष बाद सन् 1565 में इस मकबरे का निर्माण शुरू करवाया था। 1572 में हुमायूँ का मकबरा बनकर तैयार हुआ था। एक फारसी वास्तुकार  मिराक मिर्जा ग्यासुद्दीन बेग  को इस मकबरे के निर्माण के लिए हाजी बेगम ने नियुक्त कि...

कुतुबमीनार का इतिहास Qutab minar history in hindi

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पिछली पोस्ट में हमने  हुमायूँ के मकबरे  की सैर की थी। आज हम एशिया की सबसे ऊंची मीनार की सैर करेंगे। जो भारत के अनेक शासकों के शासन की गवाही देती है। जिस कों यूनेस्को द्वारा 1983 में विश्व धरोहर घोषित किया गया है जिसे देखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने कोने से पर्यटक भारत की राजधानी दिल्ली आते है। अब तो आप समझ गये होगें कि हम किस मीनार की बात कर रहे है। जी हाँ। ठीक समझें हम बात कर रहे है। दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र के मेहरौली में स्थित  कुतुबमीनार की। जिसकों दिल्ली के अंतिम हिन्दू शासक की पराजय के तत्काल बाद   दिल्ली के प्रथम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक  द्वारा  1193 में इसकी नीव रखी गई थी। कुतुबमीनार के सुंदर दृश्य कुतुबमीनार की स्थापत्य विवाद पूर्ण है। कुछ लोगों का मानना है कि भारत में मुस्लिम शासन की शुरुआत में विजय दिवस के रूप में देखते है। तथा कुछ लोगों का मानना है की मस्जिद के मुअज्ज़िन के अजान देने के लिए कराया गया था। जिससे अजान की आवाज़ दूर तक जा सके। कुतुबुद्दीन ऐबक  अपने शासन काल में कुतुबमीनार के आधार का ही निर्माण करा पाया था। कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद उसके दामाद एवं उ...